Love Story Hindi - पहली मुलाकात ( Part - 2 ) 0522

Love Story Hindi - पहली मुलाकात ( Part - 2 )

Love Story Hindi - पहली मुलाकात ( Part - 2 )
Love Story Hindi - पहली मुलाकात ( Part - 2 )


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रोहित ने बहुत कोशिश की उस लड़की को ढूंढने की ,आजू बाजू की कॉलोनी में ,मार्केट में और जहां पर उसको वह लड़की पहली बार दिखी थी ।


उसने सारा एरिया ही छान मारा पर उसको उसकी झलक भी नहीं दिखी । उसने दो-तीन महीने लगातार प्रयत्न किया पर कुछ हाथ ना लगा। रोहित निराश हो गया ,उसने सोशल मीडिया पर अलग अलग नाम से उसको खोजा पर लड़की का नाम मालूम ना होने की वजह से उसके हाथ कुछ नहीं लगा ।


रोहित के मन से ना ही उसका चेहरा जा रहा था और ना ही वह रोहित को मिल रही थी । रोहित परेशान हो गया । रोहित को लगने लगा एक बार बस ,एक बार ,वह मुझे मिल जाए ।


मैं अपनी बेचैनी का कारण समझ जाऊँ । बस एक बार । कभी काम करते करते ,कभी घूमते हुए यूं ही अचानक रोहित को उसकी झलक दिखने लगती । देखते ही देखते कॉलेज में दीपावली की छुट्टियां लग गई 


दीपावली के लिए रोहित घर के लिए जा रहा था ।रोहित और उसके दोस्तों ने ट्रेन की टिकट कर ली। दीपावली के समय सभी विद्यार्थी अपने घर को जाते हैं । इस वजह से ट्रेनों में बहुत भीड़ बढ़ जाती है ।


सारे भोपाल में पढ़ने वाले स्टूडेंट और नौकरी करने वाले लड़के और लड़कियों दीपावली के टाइम अपने घर के लिए जा रहे थे । ट्रेन में बहुत ज्यादा भीड़ थी , ट्रेन के गेट से अपनी सीट तक पहुंचने में कम से कम 45 मिनट का समय लग रहा था ।


ट्रेन में पैर रखने तक की जगह नहीं थी । इतनी भीड़ में रोहित और उसके दोस्त ट्रेन में तो जैसे तैस चढ़ गए पर अपनी सीट तक नहीं पहुंच पाए । ट्रेन चलने लगी जैसे ही रोहित भीड़ में थोड़ा अंदर की ओर बड़ा उससे लगा जैसे प्लेटफार्म पर वही लड़की खड़ी हो जिसको रोहित ने उस दिन देखा था ।


रोहित पूरी कोशिश करते हुए ट्रेन के गेट पर पहुंचता है और देखता है वह लड़की प्लेटफार्म के दूसरी ओर खड़ी ट्रेन में बैठ रही है । उस वक़्त रोहित को उसका चेहरा नहीं दिखता । पर रोहित को उसके होने का अहसास होता है । जैसे ही रोहित एक पल को सोचता है मैं ट्रेन से उतर जाऊं इतनी में ट्रेन बढ़ने लगती है । जैसे ही वह लड़की अपनी सीट पर बैठती है रोहित को खिड़की से उसका चेहरा दिख जाता है ।


रोहित को कंफर्म हो जाता है यह तो वही लड़की है ,रोहित उस ट्रेन का नंबर नोट कर लेता है ।भीड़ इतनी अधिक होती है कि रोहित नेट पर उस ट्रेन का रूट सर्च नहीं कर पाता है ।


रोहित के मन में एक नया उत्साह दौड़ जाता है रोहित बहुत खुश होता है और सोचने लगता है अब इस लड़की से मैं जरूर मिलूंगा । दीपावली की छुट्टी के बाद मैं पक्का इसको ढूंढ लूंगा ।


अगर रोहित की ट्रेन आगे नहीं बढ़ती तो रोहित पक्का ही ट्रेन से उतर जाता और उस ट्रेन में चल जाता । पर रोहित की ट्रेन स्पीड में चलने लगी और रोहित कुछ नहीं कर पाया । रोहित दीपावली से वापस आने का बस इंतजार करने लगा और सोचने लगा इस बार में घर से जल्दी ही वापस आऊंगा ।


रोहित जब ट्रेन नंबर सर्च करता है तो पता चलता है यह जबलपुर भोपाल इंटरसिटी एक्सप्रेस है । जो भोपाल से जबलपुर के लिए चलती है ।रोहित जबलपुर से भोपाल चलने वाली सभी ट्रेनों का रूट और समय याद कर लेता है ।


दीपावली के दूसरे ही दिन रोहित वापस आ जाता है । जबलपुर से भोपाल आने वाली ट्रेनों के समय पर रोहित प्लेटफार्म तक आता है और उसको रोज खोजता है ।ऐसा करते हुए लगभग 10 दिन हो जाते हैं रोहित अब फ्रस्टेड होने लगता है और सोचता है कोई तो उपाय मिल जाए


उसका नाम ही पता चल जाए ,कुछ तो ऐसा हो जाए कि मैं एक बार उससे मिल पाऊं । बहुत कोशिश करने के बाद रोहित उस लड़की को मिलने की इच्छा छोड़ देता है और इधर उधर आवारा की तरह घूमना भी बंद कर देता है ।


एक दिन रोहित जब मार्केट जा रहा होता है तब सिटी बस में उसको उस लड़की का चेहरा दिखता है ।रोहित देखता है वह लड़की बस मैं कहीं जा रही है। रोहित बस का पीछा करता है लड़की न्यू मार्केट में उतर जाती है। रोहित भी उसके पीछे पीछे न्यू मार्केट में घूमता है ,रोहित को समझ नहीं आ रहा था वह उससे बात कैसे करें ।


उसको जानता भी नहीं है और रोहित की सीधे जाकर बात करने की हिम्मत नहीं हो रही थी । वह जल्दबाजी नहीं करता है और उसके घर तक उसका पीछा करता है । उस दिन रोहित उसकी गर्ल्स हॉस्टल का पता चल जाता है ।


लड़की यह नोटिस कर लेती है कि उसके पीछे कोई लड़का न्यू मार्केट से उसकी हॉस्टल तक आया है । रोहित को थोड़ा अजीब लगता है पर रोहित तो बस दोस्ती करना चाह रहा था ।


अगले दिन रोहित गर्ल्स हॉस्टल के साइड में छुपकर खड़ा हो जाता है और उसके बाहर निकलने का इंतजार करने लगता है ।दो-तीन दिन तक रोहित लगातार उसका पीछा करता है और उसके कॉलेज ,बाहर आने जाने का समय और उसकी फ्रेंड्स तक का पता कर लेता है पर रोहित की हिम्मत उससे बात करने की नहीं होती ।


लड़की का नाम स्वाति रहता है ।रोहित को अब लड़की का नाम भी पता चल जाता है ।स्वाति यह नोटिस कर लेती है की उसका पीछा कोई लड़का कर रहा है । एक दिन स्वाति जब एमपी नगर से न्यू मार्केट की ओर जाती है तभी रोहित उसी बस में स्वाति के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है ।


स्वाति को ऐसा लगता है उसने पहले कभी इस लड़के को देखा है ।स्वाति अनजान बनने की कोशिश करती है। स्वाति थोड़े गुस्से में और उखड़े -उखड़े मूड में रहती है । इतने में बस के ब्रेक जोर से लगते हैं और रोहित अपना बैलेंस खो देता है और स्वाति को गलत तरीके से टच कर लेता है ।


स्वाति गुस्से से आग बबूला हो जाती है और ना कुछ सोचती है और ना देखती है ,जोर से एक थप्पड़ खींच कर रोहित को मार देती है । थप्पड़ इतना तेज लगता है कि सारी बस में उसकी आवाज गूंज जाती है ।


बस के सभी लोग रोहित की तरफ देखते हैं रोहित शर्म से सर झुका लेता है ।उसको कुछ समझ में नहीं आता अपनी पूरी जिंदगी में रोहित कभी इतना जलील नहीं हुआ था । रोहित की आंखों से आंसू आने लगते हैं ,जैसे ही बस रूकती है रोहित बस से उतर जाता है ।


रोहित को इतना बुरा लगता है जिसकी कोई सीमा नहीं होती । समझ नहीं आ रहा था कि उसकी गलती क्या है वह तो बस बैलेंस खो बैठा था ,उसने जानबूझकर थोड़ी कुछ किया था ।

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